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पहली किरण / बीना रानी गुप्ता
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धूप की पहली किरण
ग्रीष्म की मलय पवन
वर्षा की रिमझिम फ़ुहार
वीणा के उर की झंकार
कोकिल की मधुर कूक
विजय-वीणा के उर की हूक
मेरे चमन की कोमल कली
जीवनदीप की ‘वर्तिका’ उजली
लगता है तुम कहीं नहीं
हो मेरे पास यहीं कहीं।