प्रात किरणियाँ ललकारै छै
भेलै दूर अन्हेरिया रे
गाँव-गाँव आरो शहरोॅ के
चमकै घोॅर अटरिया रे॥
फूल खिलै क्यारी-क्यारी में
चन्दन बहै बयरिया रे
भौंरा फुसकेॅ मौं-मांछी सें
लख ऊभरलोॅ उमिरिया रे॥
कारों चुनरी छोड़ी पहिरै
पिय के पीत चुनरिया रे
माथें छैला हाथे डोरी
लचकी चले कमरिया रे॥