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पहली बारिश / गुलज़ार हुसैन

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पहली बारिश की फुहार
कोई छू लेता है बालकनी से
और झूम उठता है
और कोई चिंतित हो जाता है
कि झोंपड़ी की छत से टपकती बूंदों से
कैसे बचाएगा अपने बच्चों की किताबें
कि कैसे भीगे बिस्तर पर सुलाएगा अपने बच्चों को
सड़क पर भरा घुटनों तक पानी
जब झोंपड़ियों में घुसने लगता है तो बच्चे डर जाते हैं
बारिश केवल खुशियां लेकर ही नहीं आती