भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पहले उलझन पाने की है / सोनरूपा विशाल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हिन्दी शब्दों के अर्थ उपलब्ध हैं। शब्द पर डबल क्लिक करें। अन्य शब्दों पर कार्य जारी है।

पहले उलझन पाने की है फिर उसको खोने के डर की।
जैसे जीने के उत्सव में बातें मरने के अवसर की।

मिट्टी के गुल्लक से तन में कितने सिक्के खरे खरे हैं
ये गिनती ही तय करती है भीतर कितने भरे भरे हैं

ये भारी पन कम करता है चिंताएं सारी अंतर की।

काशी के घाटों सी हलचल को उलझन समझें क्यों हरदम
दुख को समझें पर्वत सा क्यों सुख को दुख से आँकें क्यों कम

कोंपल भी तब आती है जब जाती है बारी पतझड़ की