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पहले घर-घर जाइए, जाकर गुज़ारिश कीजिए / नूर मुहम्मद `नूर'
Kavita Kosh से
पहले घर-घर जाइए, जाकर गुज़ारिश कीजिए
बैठकर एवान में फिर आप साज़िश कीजिए
जीत के पहले वो जोड़े हाथ आए थे, मगर
आपकी बारी है अब जाकर सिफ़ारिश कीजिए
नौकरी की अब नहीं कोई कमी इस मुल्क में
शौक़ से कीजे अपहरण बूट-पॉलिश कीजिए
आज जो जम्हूरियत है मुल्क में यानी कि आप
ज़ोर है बाज़ू में तो फिर आज़माइश कीजिए
और थोड़ा अज़्म थोड़ी सब्र सूरज के लिए
रौशनी होनी है, होगी और ख़्वाहिश कीजिए
शब्दार्थ
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