भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पहले थोडा सा तोला कर / विजय वाते

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तल्ख़ बातें न बोला करो
पहले थोडा सा तौला करो

सामने कौन है देख कर
दिल की गांठों को खोला करो

उचें लोगों से कुछ तो डरों
अपने कद को मझोला करो

सारी दीवारें हैं खोखली
नीव को तो न पोला करो

बात कहनी है कडवी अगर
थोड़ी शक्कर भी घोला करो