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पहले पहर को सपनो सुनो मोरी सासो जी महाराज / बुन्देली

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

पहले पहर को सपनो, सुनो मोरी सासो जी महाराज।
राम लखन दोऊ भइया, अंगन बिच तप करें महाराज।
ननदी लयें बेला भर तेल, सांतिया लिख रही महाराज।
भौजी बैठी मांझ मंझौटे, हार नौने गुह रही महाराज।
इतने में आ गई बारी ननदी, विहंस के बोलिये महाराज।
भौजी हुए लालन तुम्हारे, हार हम लै लैहें महाराज।
चूमो बैयां तुम्हरी हथुरिया, घिया गुड़ मुँह भरो महाराज।
सुनो बारी ननदी हमारी, हार तुम लै लियो महाराज।