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पहाड़-1 / विजय गौड़
Kavita Kosh से
जैसे भूल जाए कोई
अपनी भूमि और जड़
इस बाज़ारू दुनिया में
रख दे गिरवी
अपनी भुजाएँ, टाँगें और धड़
ऐसे में
रसूल हमजातोव का दागिस्तान
कैसे होगा ज़िन्दा?