भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पहाड़ अर देवता / हरीश हैरी
Kavita Kosh से
लोग देवतावां नै
मनावण सारु
पहाड़ां माथै
जा चढ्या
देवता तो मानग्या
पहाड़ पण मान्या कोनी
पहाड़ा दाब मारया लोगां नै
देवता नेड़ै नी आया!