भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पहाड़ / नवनीता देवसेन / मीता दास

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कोई कहता है या नहीं कहता,
पर तुम सब जानते हो ।

फिर भी है कहीं पहाड़
छोटी बात, बड़ी बात,
छोटे दुःख, बड़ी वेदना
सब कुछ पीछे छोड़कर
बड़ा-सा है एक हंसी का पहाड़ ।

एक दिन
उसी पहाड़ पर घर बनाऊँगी
तुम्हारे ही संग ।

लोग कुछ भी कहें,
न कहें,
वह तुम जानो ।

मूल बाँगला से मीता दास द्वारा अनूदित