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पहाड़ / शरद बिल्लौरे
Kavita Kosh से
आगे देखता हूँ,
पीछे देखता हूँ।
दाएँ देखता हूँ,
बांएँ देखता हूँ।
ऊपर देखता हूँ,
नीचे देखता हूँ।
तुम ही तुम हो,
पहाड़,
तुम ही तुम हो।