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पहिया - 1 / अनिता मंडा
Kavita Kosh से
पंक्चर पहिये के दो रस्सियाँ बाँध
बच्चा झूल रहा है
गुदगुदा रही है नीम की डाली
पीली पत्तियों का अंबार
खिलखिला रहा है पाँवों के तले
एक गतिरहित पहिये से
खुशियाँ गतिमान हैं इन दिनों।