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पहिया - 2 / अनिता मंडा
Kavita Kosh से
कबाड़ में पड़ी टूटी साइकिल का पहिया
घर है इन दिनों
एक गोरैया के जोड़े का
उड़ान दर उड़ान
तिनकों का खज़ाना जमा हो रहा है उस पर
कुछ दिनों से चोंच भर-भर कर ला रहा है जोड़ा
चार नई चोंचों का कलरव
नया संगीत दे रहा है
यह सच है
रुके हुए पहियों से
गतिमान है जीवन
विगत कुछ दिनों से