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पहुँचे गोर किनारे हम / नासिर काज़मी
Kavita Kosh से
पहुँचे गोर किनारे हम
बस ग़म-ए-दौराँ हारे हम
सब कुछ हार के रस्ते में
बैठ गए दुखियारे हम
हर मंजिल से गुज़रे हैं
तेरे ग़म के सहारे हम
देख ख़याल-ए-ख़ातिर-ए-दोस्त
बाज़ी जीत के हारे हम
आँख का तारा आँख में है
अब न गिनेंगे तारे हम