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पहुना आबै छौं / रूप रूप प्रतिरूप / सुमन सूरो

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लौंगलती हे, जल्दी-जल्दी बदलोॅ आबेॅ भेस
पहुना आबै छौं!
बहुते जरल्हौं प्राण चैत में
अँखिया झरल्हौं सावन में
उजगी भेल्हौं रात-रात भर
चित बसल्हौं मन-भावन में
फूलवती हे, आबेॅ तोरोॅ बेचैनी सब शेष,
पहुना आबै छौं!
चन्दन शीतल देह लगाबोॅ
कजरा डारोॅ आँखी में
फूल-कली सें सेज सजाबोॅ
सोनजुही के झाँखी में
भगमन्ती हे, जल्दी-जल्दी बान्होॅ खोन्हा केस,
पहुना आबै छौं।
काँपै छौं सब अंग सम्हारोॅ
लपका पिपरोॅ पत्ता रं
लागै छौं घामोॅ सें भरलोॅ
मूँ मदमाछी छत्ता रं
कुलमन्ती हे, आय्ये भरी सम्हारोॅ ई आवेश
पहुना आबै छौं!