पहेलियाँ / भाग - 2 / पँवारी
मउ् कटू तू काहे रोवय।।
उत्तर- प्याज
चल चल भई
पसर गई।
उत्तर- झाडू (बाय्हरी)
नान्ही सी कोठरी मऽ
कुट्टन डोकरी।
उत्तर- जीभ
बिन पानी को महल बनायो
कारीगर नऽ कसो सजायो।
उत्तर- चींटियों का घर (बमिठा)
छोटो सो पोर्या सालू बाँध-बाँध नाचय।
उत्तर- ढेरा
औरस चौरस सव-सव खूटा
गाय मरखण्डी, दूध देय मीठा।
उत्तर- मधुमक्खी का छत्ता।
नान्हो सो फकीर
ओका पेट मऽ लकीर।
उत्तर- गेहूँ (गहूँ)
ठाटी भरऽ पयसा,
न तोसी गिनाय नी मऽसी गिनाय।
उत्तर- आकाश के तारे
नान्ही सी डब्बी मऽ डब-डब आँसू।
उत्तर- आँख
नान्ही सी फण्डकुल, फड़कत जाय
सौ-सौ अण्डा, देत जाय।
उत्तर- कंघी (फनी)
गाय चरय, दूध पड़य।
उत्तर- आटा चक्की
सूका कुँआ मऽ सेर नर्राय
उत्तर- मेंढक
ओंढो कुँआ मऽ भोंडो पानी
ओमऽ नाचय छम-छम रानी।
उत्तर- मेंढक।
बाप मोटो सो, बेटा पोलो सो
नाति गुड़धु सो।
उत्तर- महुआ, टोपरा, गुल्ली
कटोरा मऽ कटोरा
बेटा बाप से गोरा।
उत्तर- नारियल
हरनी भागय दूध बगरय।
उत्तर- आटा चक्की
बाबा सोवय एनाअ् घर मऽ
पाय पसारय ओना घरअ् मऽ।
उत्तर- दीपक।
एक आयो भाट ओनऽ बूनी नारंगी खाट
बुननऽ खऽ बुन ली उकलता नी बनी।
उत्तर- रांगोली (चउक)
एक मंदिर मऽ तीस देव।
उत्तर- दाँत
एक कोठड़ी मऽ बत्तीस झना।
उत्तर- दाँत
एक आड़ा की झोपड़ी मऽ
नव लख गाय समाय।
उत्तर- मधुमक्खी का छाता (छत्ता)
श्रीधर लटक्यो, चुन्धी धर पटक्यो।
उत्तर- श्रीफल (नारियल)
बारी हती तब हरी हती
जवानी मऽ लाल गुलाल।
उत्तर- मिर्च
पाठा पऽ जनी भूरी भईस
ओको दूध अकारत जाय।
उत्तर- मेंढक
गणित की कय्हनी
बाप बेटा दो, रोटी बनाई तीन
सबनऽ बराबर-बराबर खाई।
उत्तर- दो पुत्र, एक पिता (तीन)
तीन बड़ा छः झनी नऽ खाया
आऊर एक-एक खाया।
उत्तर- सास-बहू, माँ-बेटी और ननद-भाऊज (भाभी)
सास-बहू में = माँ और भौजाई एक पात्र है।
माँ और बेटी में = बहू तथा ननद है।
और ननद और भौजाई में = बेटी तथा बहू है।
बारा आया पाव्हना, रोटी रान्धी एक
घास-घास सब नऽ खाई,रह्य गई एक की एक।
उत्तर- वृक्ष का तना।
सबका पहले मऽ भयो, मऽराऽ पाछअ मऽरीऽ माय
धमा-धमी सी आई मऽ जेकाऽ पाछअ भयो बाप।
उत्तर- दूध, दही, मही, घी
दाढ़ी वालो पोर्या, हाट बजार बिकाय
देव का माथा पऽ चढ़य, एको अरथ बताय।
उत्तर- नारियल
आई-आई सब कव्हय, गई कव्हय नी कोय
आना सी दुख ऊबजय, जारा सी सुख होय।
उत्तर- आँख (डोरा) आना
लाल फूल गुलाब को, झलमल ऊते जिगाय
नी माली घरऽ ऊबजय, नी राजा घरऽ जाय।
उत्तर- सूरज
चिन्धी बान्ध खअ् वा फिरय, माथा आग धराय।
होठ प ओखऽ रखय ते, बुढ्ढा का मनऽ भाय।
उत्तर- चिलम