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पाँच चिड़ियों ने / ज्ञानेन्द्रपति

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पाँच चिड़ियों ने
खाली आकाश को
सूने घाट पर नहाने आई सखियों-सा
अपनी क्रीड़ाओं से भर दिया

फिर आए
राहगीर पक्षियों के
मंथर झुण्ड
काँपते आकाश को
सुतल करते