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पाँच पँक्तियाँ / नाज़िम हिक़मत / उज्ज्वल भट्टाचार्य

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उबरने की कला दिल में छिपी होती है, सड़कों पर, क़िताबों में
माँ की गाई हुई लोरियों में
ख़बर की सुर्खियों में

यह समझने में, मेरी जान ! कि कितनी ख़ुशी की बात है
समझना कि क्या कुछ बीत चुका और क्या आने वाला है ।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य