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पाँच पँक्तियाँ / नाज़िम हिक़मत / श्रीविलास सिंह
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जीत लेने में झूठ को, आत्मा में, गलियों मे, किताबों में
माँओं की लोरियों में
और समाचारों में जिन्हें पढ़ता है वक्ता,
समझना, मेरे प्रिय, कितना महान आनन्द है इसमें,
समझने में कि क्या बीत चुका और क्या आने को है आगे ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : श्रीविलास सिंह