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पाँच पंक्तियाँ / नाज़िम हिक़मत / कविता कृष्णापल्लवी

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जीतने के लिए झूठ को
जो पसरा है दिल में,
गलियों में, किताबों में,

माँओं की लोरियों से लेकर
उन समाचार रिपोर्टों में
जो वक्‍ता पढ़ रहा है,

समझना, मेरी प्रिय,
क्‍या शानदार ख़ुशी की चीज़ है,
यह समझना कि
क्‍या बीत चुका है
और क्‍या होने वाला है ।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : कविता कृष्णापल्लवी