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पाँच बोट की चिमटी नऽ / पँवारी

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पँवारी लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

पाँच बोट की चिमटी नऽ
काशी की हिकमती नऽ
दरना दरत पस्या की लगय धारी
पाज्यो काशी नऽ दूध भारी।।