भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पाँच रुपैया समधि करजा काढ़लनि / मैथिली लोकगीत
Kavita Kosh से
मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
पाँच रुपैया समधि करजा काढ़लनि
टिकुली लयलनि गढ़ाय हो लाल
टिकुली के सटलनि समधिन पटबर फारलनि
चलि भेली गंगा स्नान हो लाल
नहाय सोनाय समधिन घुरियो ने तकलनि
टिकुली खसल मझधार हो लाल
कानय लगली खीजय लगली समधिन छिनरो
केये देतै टिकुली भेटाय हो लाल
घोड़बा चढ़ल अबथिन फन्ना रसिया
हम देब टिकुली भेटाय हो लाल
जओं तोहे आहे समधी टिकुली भेटाय देब
गंगाजी के पाठी चढ़ायब हो लाल
जीवनाथ भल डहकन गाओल
बरियतियाक बहिन छकल छिनारि