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पांगळो / सांवर दइया
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हरखीज रैयो है
आखो जगत
कै चांद माथै पूगग्यो आदमी
अबै
आ बात अलायदी है
कै बींनै रैवणो कोनी आवै
धरती माथै
भर कोनी सकै बो
सांस अर सांस बिच्चै बापरियोड़ी
थोथ !