पांच मोहर का साहबा! पीला मंगाद्यो जी / हरियाणवी
पांच मोहर का साहबा! पीला मंगाद्यो जी।
कोई पांच पचीसी गढ़ बी सी गाढा मारू जी।
गाढा मारू जी पीला रं गद्यो जी।
किन म्हारी भोली साधण ल्याय दिखाया जी।
किन थारे आल लगाई जी।
गाढा मारू जी पीला रं गाद्यो जी।
छोटी सी नणदल, साहबा! आल लगाई जी।
अल्ले तै पल्ले साहबा! मोर पपेया जी।
बीच बीच लाल हजारी जी।
गाढा मारू जी पीला रं गाद्यो जी।
कोए सास नणद मुख जोड्या जी।
गाढा मारू जी पीला रं गाद्यो जी।
आंख ना खोले जच्चा मुख तै ना बोले जी।
कोए जच का राजन कुम्हला डोले जी।
गाढा मारू जी पीला रं गाद्यो जी।
दिल्ली सहर तै साहबा! बैद बुलाद्यो जी।
कोए जच की नाड़ी दिखाद्यो जी।
गाढा मारू जी पीला रं गाद्यो जी।
झाडै तो झाडै रे बैदा रोक रुपैया जी।
कोए जच्चा के जीव की बधाई जी।
गाढा मारू जी पीला रं गाद्यो जी।
आंख्यां भी खोले जच्चा मुख से भी बोले जी।
कोई जच्चा का राजन हंसता डोले जी
मैं मन ल्यूं थी म्हारा सुघड़ साहबे का जी।
कोए प्यारी सू के दुप्यारी जी।
गाढा मारू जी पीला रं गाद्यो जी।