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पांणत / रेंवतदान चारण

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माळ फिरै ज्यूं पनड़ी बाजै, फिरै काळियौ डोरौ
ओडूं पांणी भरै घड़लियां, आगै हालै धोरौ
रूपर रेत रे!

पैलौ जोटौ आवै है, पांणतिया वीरा चेत रे
कोई पांणत गंगा ऊतरै!

धौरै पांणी ढळै ढाळियौ दै माटी रौ घींयौ
कोरवांण में करै चांनणौ, दीवाळी रौ दीयौ
आभै ऊपर हंसै किरतियां, मन बिलमावै बौरौ
जूनां हेत रे!

माळ फिरै ज्यूं पनड़ी बाजै, फिरै काळियौ डोरौ
ओडूं पांणी भरै घड़लियां आगै हालै धोरौ
रूपल रेत रे!

पैलौ जोटो आवै है, पांणतियां वीरा चेत रे
कोई पांणत गंगा ऊतरै!

आडंग आवै मावटै रौ, पड़ण लागज्या पाळौ
हेमाळै सूं होड करणनै, ऊभौ खेत रूखाळौ
सीयाळै री रात में, भाई पांणत करणौ दोरौ
ठंडा खेत रे!

माळ फिरै ज्यूं पनड़ी बाजै, फिरै काळियौ डोरौ
ओडूं पांणी भरै घड़लियां, आगै हालै धोरौ
रूपल रेत रे!

पैलौ जोटौ आवै है, पांणतिया वीरा चेत रे
कोई पांणत गंगा ऊतरै!

भारत में भागीरथ लायौ, भाखर ढळती गंगा
पण थेट पताळां नीर निवायौ, आवै पांणत गंगा
लीली खेती लहरावै है, दै पांणतियौ पौरौ
साख समेत रे!

माळ फिरै ज्यूं पनड़ी बाजै, फिरै काळियौ डोरौ
ओडूं पांणी भरै घड़लियां, आगै हालै धोरौ
रूपल रेत रे!

पैलौ जोटौ आवै है, पांणतिया वीरा चेत रे
कोई पांणत गंगा ऊतरै!