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पांव पैदल और कितनी दूर / रामकृष्‍ण पांडेय

पाँव-पैदल और कितनी दूर
थक गई है देह थक कर चूर

थक गए हैं
चाँद-तारे और बादल
पेड़-पौधे,वन-पत्तियाँ,
नदी, सागर
थक गई धरती
समय भी थक गया भरपूर

नहीं कोई गाँव,
कोई ठाँव,कोई छाँव
थक गई है
ज़िंदगी बेदाँव
और उस पर
धूप,गर्मी,शीत,वर्षा क्रूर

पाँव-पैदल और कितनी दूर ...