पाटलिपुत्र के सौ बिल्ले और एक बिल्ली की कथा / शहंशाह आलम
पाटलिपुत्र में रोज़ एक नई कथा जन्म लेती है
रोज़ चमत्कार का बाज़ार लगता है नवीन और पुरातन
किसी नए अचरज की ही मानिंद छाया हुआ है
गौतम-शिल्पी हत्याकांड राजधानी में इन दिनों
हमारे-तुम्हारे लिए यह एक हत्या का मामला हो सकता है
राजनीतिज्ञों-पदाधिकारियों के लिए यह सब परंतु
राजधानी में हो रही सामान्य मृत्यु जैसा है
जिस तरह मुंबई चेन्नई कोलकाता आदि महानगरों में
किसी की हत्या एक सामान्य मृत्यु की तरह ली जाती रही है
फिर अंततः क़िस्सा ख़त्म किया जाता रहा है साक्ष्य को मिटाकर
दिल्ली ऐसी हत्याओं ऐसी वारदातों को लेकर
असहज रही है शताब्दियों से
चूंकि हम सौ चैनलों से भी अधिक चैनलों वाले
समय को भोगते जो रहे हैं
अपने-अपने गुप्त रोगों को छिपाए हुए
महानगरों और राजधानियों की देव कन्याओं में
शिल्पी भी क्या चीज़ थी बाप
अक्खा बिंदास अक्खा समुद्र
भोंसड़ी के तुम्हारा मन काहे को कचोट रहा है
तुम्हारे यहां की नताशा-वताशा कुछ कम थीं क्या
हमारी शिल्पी से हमारी सर्दियों की धूप से
नैना को भी तो तुम्हीं लोगों ने झोंका था तंदूर में
पहले मक़बूल फ़िदा हुसेन
और अब बिरजू महाराज लगे हैं माधुरी की धक्-धक् के पीछे
यह सूचना कम दहलाने वाली सूचना थोड़े ही है
दोनों बुढ़ऊ को लेकर इस वितान में
वह पाटलिपुत्र की सड़कों पर चलती तो
आत्मा का अंधेरा छू हो जाता
वाक्य-विन्यास तक इधर-उधर हो जाते
इस भाद्रपद में इस फागुन इस चैत में
सारे असंभव संभव हो जाते
हमारी सहपाठिनियों की तरह उसके भी स्तन जब
समुद्र की लहरों की तरह ऊपर-नीचे होते
या लोटन कबूतरों की तरह एक साथ उड़ते तो
कितने-कितने शब्द जन्म लेते कितनी-कितनी भाषाएं
कितनी-कितनी वनस्पतियां उगतीं मंगल ग्रह पर
एक पूरी आधुनिक संस्कृति थी शिल्पी
इस पाटलिपुत्र को डेग-डेग पर गतिशील करती हुई
इस पाटलिपुत्र में मरते वक्त
इस अज़ीमाबाद में मरते वक्त
इस पटना में मरते वक्त
क्या था शिल्पी के पास
एक हैंडबेग
कुछ मेकअप के सामान
एक गैराज
एक एसी गाड़ी
जिसमें उसकी अधनंगी लाश बरामद हुई थी
और एक अदद उसका प्रेमी
जो उसके साथ ही मारा गया उसको स्पर्श करते हुए
दुनिया में कई ऐसी लाशें मिली होंगी और
हत्यारा हमारे ही आसपास रोज़ उठता-बैठता होगा
अपने चेहरे पर देवत्व लिए
शिल्पी कविताएं नहीं लिखती थी
या क्या मालूम उसकी डायरी मिल जाए
फिर शायद बहुत सुंदर गद्य
डायरी को झाड़ने-पोछने के बाद
पढ़ने की हमारी इच्छा पूरी हो भी जाए
यह बात हमारे लिए हैरत की बात होगी
एक महान सदी के विदा के समय की वह
एक महान लड़की थी यार
एकदम झकास एकदम किसी नायिका जैसी
उसके घर में दुर्भाग्यपूर्ण कुछ भी नहीं रहा होगा
बस उसने किसी से सच्चा प्रेम किया होगा
और मार डाली गई होगी
भूमंडलीकरण वैज्ञानिकता युद्ध आतंकवाद
और ‘मिज़ाइल मैन’ जैसे राष्ट्राध्यक्ष वाले इस समय के
सौ बिल्लों के बीच एक बिल्ली क्या करती भला
अथवा किस प्रकार ख़ूंख़ार बिल्लों की
यौन प्रवृत्तियों को करती रेखांकित
अच्छा हुआ शिल्पी कविता नहीं लिखती थी
नहीं तो एक गुमनाम मौत मारी जाती
कई-कई युवा कवयित्रियों की तरह
दुनिया में ढेरों ऐसी लड़कियां हैं
जो कविताएं नहीं लिखतीं
अपनी मृत्यु तक के बारे में नहीं
लेकिन दुनिया में ऐसी ढेरों लड़कियां हैं
जो डायना की तरह मरीं और ख़ूब चर्चित हुईं
जो दिव्या भारती की तरह मरीं और अख़बारों की सुर्खियां बनीं
बहुत सारी लड़कियां मुख मैथुन करते हुए
चर्चित हुईं मोनिका लेविंस्की की तरह
बहुत सारे न्यायाधीश समलैंगिकता को
सही ठहराते हुए चर्चित हुए
एक-एक लड़की में सौ-सौ बिल्लियां हैं
एक-एक लड़के में सौ-सौ बिल्ले लेते हैं जन्म
अपनी कामुक इच्छाओं के साथ
उदासी की बात यह नहीं है मित्रो कि
सर्वाधिक सूचनाओं वाले इस कालखंड में
मारी गई शिल्पी
गुलाम अली और जगजीत सिंह की गाई ग़ज़लों
को सुनते हुए मारी गई
उदासी की बात तो यह है कि उसका हैंडबैग पड़ा है
अभी भी उसकी गैराज में
उसकी हत्या निर्मम हत्या की दास्तान सुनाता हुआ।