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पाणी भर भर गइआँ सभ्भे / बुल्ले शाह

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पाणी भर भर गइआँ सभ्भे, आपो आपणी वार। इक्क भर आइआँ सभ्भे, आपो आपणी वार।
इक्क भर आइआँ, इक्क भर चल्लिआँ।
इक्क खलिआँ बाँ पसार।

हार हमेलाँ<ref>गहने</ref> पाइआँ गल विच्च, बाहीं छणके चूड़ा।
कन्नी बुक्क बुक्क मछरीआले<ref>झुमके</ref>, सभ आडंबर कूड़ा।
अग्गे सहु ने झात ना पाई, ऐवें गया शिंगार।
पाणी भर भर गइआँ सभ्भे, आपो आपणी वार।

हत्थीं महिन्दी पैरीं महिन्दी, सिर ते धड़ी<ref>बालों की चीरनी में सिंदूर की रेखा</ref> गुन्दाई।
तेल फुलेल पानाँ दा बीड़ा, दन्दी मिस्सी<ref>सुर्खी</ref> लाई।
कोई सु सद्द पईओ ने, डाढी विसरिआ घर बार।
पाणी भर भर गइआँ सभ्भे, आपो आपणी वार।

बुल्ला सहु दे पंध पवें जे, तां राह पछाणें।
पऊँ सताराँ पासिओं मंगदा, दाअ प्या त्रै-काणे।
गूँगी डोरी कमली होई, जान दी बाज़ी हार।
पाणी भर भर गइआँ सभ्भे, आपो आपणी वार।

शब्दार्थ
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