गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Last modified on 28 अप्रैल 2017, at 17:42
पाण्डव घर / लोकगीता / लक्ष्मण सिंह चौहान
चर्चा
हिन्दी/उर्दू
अंगिका
अवधी
गुजराती
नेपाली
भोजपुरी
मैथिली
राजस्थानी
हरियाणवी
अन्य भाषाएँ
लक्ष्मण सिंह चौहान
»
लोकगीता
»
Script
Devanagari
Roman
Gujarati
Gurmukhi
Bangla
Diacritic Roman
IPA
छलिया के मन छल करैय देखि देखि रामा।
शकुनि के साथ, तहां रहैय हो सांवलिया॥