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पाती किशन चन्द की आई / ईसुरी

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पाती किशन चन्द की आई,
छाती से चिपकाई।
हातन-हात लै गोपिन नैं,
राधा जुबै गुवाई।
परी देय में फिर से स्वाँसा,
मरी खाल जी आई।
अब हम पै भगवत भए सूदे।
ऊधौ जू की ल्याई।
समाचार लिख दये ईसुरी,
सबने बाँच सुनाई।