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पाती / शशि पाधा

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हवाओं के कागद पे लिख भेजी पाती
क्या तुम ने पढ़ी ?

न था कोई अक्षर, न स्याही के रंग
थी यादों की खुशबू पुरवा के संग
घटाओं की चुनरी में बाँधी जो कलियाँ
क्या तुमने चुनीं ?

न वीणा के सुर थे, न अधरों पे गीत
न पायल की रुनझुन, न कोकिल संगीत
सागर की लहरों ने छेड़ी जो सरगम
क्या तुमने सुनी ?

बीती दोपहरी की ठंडी सी छाँव
गुलनारी थोड़ी सी, थोड़ी सी श्याम
किरणों ने नभ पर उकेरे संदेसे
क्या तुमने लिखे?