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पानी और पैसा / कुमार विक्रम
Kavita Kosh से
पानी की तरह पैसा बहाना
कोई उन्हें समझाए
कि सिर्फ एक मुहावरा ही है
उन दिनों ईजाद किया हुआ
जब पानी सब तरफ लबालब था
और पैसा अभी देवता नहीं बना था
कोई उन्हें समझाए
पैसे से पानी पर काबू पाना
मानो ऊँगली को आँखों पर रख
सूरज को ढक लेने का
भ्रम पालने जैसा है
कोई उन्हें यह भी समझाए
कि तीसरा विश्वयुद्ध पानी के कारण होगा
कोई मुहावरा नहीं है
बस कुछ मसखरों द्वारा
प्रलय से पहले
उसकी खिल्ली उड़ाने का जत्न करने जैसा है
‘बहुवचन’ 2017