भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पानी के मेले / श्रवण कुमार सेठ
Kavita Kosh से
बादल आए
छम-छम नाचे
टप-टप गाए
बूंद-बूंद कर
पेड़ के पत्तों
और हवा के
मैल छुड़ाए
नदी ताल सब
छप-छप खेले
पानी के ही
लगे थे मेले।