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पानी बचाबोॅ / त्रिलोकीनाथ दिवाकर
Kavita Kosh से
पानी नै बचैभो त‘ सब मरी जैभो
आबै वाला बंशो के नाश करी जैभो
पोखर तलाब, भरी महल उठैल्हो
मालो मवेशी के सुख छिनी लेल्हो
बरसा के पानी तों कहाँ जमैभो
आबै वाला बंशो के नाश करी जैभो
जंगल पहाड़ काटी बरसा घटैल्हो
बरसा के असरा में खेतो सुखैल्हो
अन्न बिना चुल्हा तों केना जरैभो
आबै वाला बंशो के नाश करी जैभो
गंगा के धारो में कचरा बहाय छो
मैया के नाम लेके डुबकी लगाय छो
गंगा क‘ गंदा तों करी पचतैभो
आबै वाला बंशो के नाश करी जैभो