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पानी बरसा / नवीन सागर
Kavita Kosh से
हवा तेज बह चली सरासर
धीरे बहना भूल के
उड़े बगुले धूल के।
जोर-जोर से लगे डोलने पेड़
हवा से बोलने
उड़ी धूप छायाएँ लेकर
दसों दिशाएँ खोलने
जो भी निकला बाहर उसको
लगे थपेड़े फूल के।
टन-टन-टन-टन घण्टी बाजी
गेट खुले स्कूल के।
खाली झूले रहे झूलते
बच्चे भग गए झूल के।