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पानी भरे जात रहीं पकवा इनारवा बनवारी हो / महेन्द्र मिश्र
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पानी भरे जात रहीं पकवा इनारवा
बनवारी हो लागि गइलें ठग बटवार।
बहियाँ ममोरे मोरा अंगिया निहारे
बनवारी हो तूड़ देलें मोतियन के हार।
गोर लागी पइयाँ परी नटवर कन्हइया
बनवारी हो बिसरल सुधिया हमार
कहत महेन्दर हम रहब एही ठइयाँ
बनवारी हो अब ना जाएब पकवा इनार।