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पानी में लकीरें / मनोहर बाथम
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अजीब-सी सीमा है यहाँ
नदी के बीच से
कौन खींच सकता है
पानी में लकीरें
क्या हुए हैं
दो टुकड़े दिल के भी कभी
मछलियों का आना-जाना
बदस्तूर जारी है - इधर से उधर
कछुए भी नहीं पहचानते सीमा रेखा
जब भी शिकार होती हैं मछलिया~म
उन पर कहीं नहीं लिखा होता
मुल्क़ों का नाम
बस, जानता हूँ सिर्फ़ शिकारी का नाम
और
देखता तड़पती मछलियाँ