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पानी / दिनकर कुमार

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पानी
चारों तरफ पानी है

मध्य में है
विषाद की पृथ्वी
असहाय की पुकार
शिशुओं का क्रंदन
ठंडे चूल्हों का विलाप
चारों तरफ पानी है

मध्य में है
योजना का शव
अधूरे ठेके
सड़ी-गली निविदाएँ
मज़दूरों का पसीना
चारों तरफ पानी है

और पानी के भीतर है
सपनों की फसल
रंगीन मछलियाँ
घोंघे और सीपियाँ
मध्य में है
घोषणाओं का शिविर
भूख और रोग का आतिथ्य