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पान वाले! पान वाले! / योगेन्द्र दत्त शर्मा
Kavita Kosh से
पान वाले! पान वाले!
पान दे हमको बनाकर
ओ अनोखी शान वाले!
गोलटा, देसी न भाते
बस, बनारस का लगा दे,
खा सकें पत्ता सपत्ता
इसलिए छोटा उठा ले!
पान वाले! पान वाले!
देख, चूना कम लगाना
ढेर-सा कत्था चढ़ाना,
मुँह रचाना है हमें बस,
कहीं पड़ जाँ न छाले!
पान वाले! पान वाले!
डालना मीठी सुपारी
खुशबुओं वाली फुहारी,
और पीपरमेंट भी कुछ
जो हमारा मन उछाले!
पान वाले! पान वाले!
सौंफ, मिसरी खूब रखना
पर न तंबाकू बुरकना,
एक भी पत्ती पड़ी, तो
हम न जाएँगे सँभाले!
पान वाले! पान वाले!