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पापा, दीदी बहुत बुरी है / प्रकाश मनु
Kavita Kosh से
पापा,
दीदी बहुत बुरी है!
बिना बात करती है कुट्टी
सीधे मुँह न करती बात,
मैं कहता हूँ खेलो मिलकर
मगर चला देती यह लात।
हरदम झल्लाया करती है,
हरदम इसकी नाक चढ़ी है!
मेरे सभी खिलौने लेकर
जिस-तिस को दिखलाया करती,
माँगूँ तो कह देती ना-ना,
मुझ पर रोब जताया करती।
सब दिन कहती—पढ़ो-पढ़ो, बस
आफत मेरे गले पड़ी है!
कभी न अपनी चिज्जी देती
उलटे मेरी हँसी उड़ाती,
कह देती है सब सखियों से
बुद्धू कहकर मुझे चिढ़ाती।
बातें करती मीठी-मीठी,
पर भीतर से तेज छुरी है!