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पापा का चश्मा / प्रदीप शुक्ल
Kavita Kosh से
कहाँ गया वो, अभी यहीं था
खोज रहे हैं पापा
पापा को ऑफ़िस जाना है
पूरा घर अब काँपा
बाथरूम जाने से पहले
पेपर पढ़कर आया
मुझे याद है शेव किया मैंने
तब उसे लगाया
अभी उसी से देखा था
अपना भरपूर मुटापा
देखो कहीं खेलता होगा
वहीं तुम्हारा बेटा
वह तो सोकर अभी उठा
मम्मी ने तुरन्त लपेटा
परेशान पापा ने पूरा घर
पल भर में नापा
तभी अचानक मम्मी ने
पापा के सर को देखा
नज़र आ गई तुरन्त उन्हें
चश्मे की काली रेखा
घूर रही हैं मम्मी
पापा दिखा रहे अपनापा