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पापा जी ले चलो घुमाने / कमलेश द्विवेदी
Kavita Kosh से
पापा जी ले चलो घुमाने, मुझको मत छोड़ो घर पर।
अगर अकेला छोड़ गये तो मुझे लगेगा घर में डर।
सुबह-सुबह अख़बार पढ़ा है-
चिड़ियाघर से भागा शेर।
हो सकता वह घर आ जाये,
आकर मुझको कर दे ढेर।
अगर हो गया ऐसा तो फिर पछताओगे जीवन भर।
पापा जी ले चलो घुमाने, मुझको मत छोड़ो घर पर।
दादा जी से सुना शहर में,
आया है बच्चों का चोर।
हो सकता वह मुझे चुराकर,
ले जाये जंगल की ओर।
अगर हो गया ऐसा, मम्मी मर जायेंगी रो-रो कर।
पापा जी ले चलो घुमाने, मुझको मत छोड़ो घर पर।
पापा बोले-राजू बेटा,
तुम हो बहुत बहानेबाज।
और इसी कारण हो जाता,
अक्सर मैं तुमसे नाराज।
अगर घूमने चलना है तो छोडो डर-वर का चक्कर।
पापा जी ले चलो घुमाने मुझको मत छोड़ो घर पर।