Last modified on 6 अक्टूबर 2020, at 23:29

पापा ला दो एक किताब / प्रकाश मनु

ला दो ऐसी एक किताब,
पापा ला दो एक किताब।
जिसमें हँसने वाली मुनिया
रसगुल्लों से मीठे किस्से,
पढ़ते जाएँ तो रस उनका
आ जाए कुछ अपने हिस्से।
क्यों अपने चाचा जी मोटे
हँसती रहतीं क्यों चाची जी,
नन्ही मुनिया क्यों शर्मीली
मुन्ना माँगे हर पल चिज्जी!
भेद लिखे हों जिसमें सारे
पढ़ते जाएँ, हँसते जाएँ,
नई शरारत वाले पन्ने
खोल-खोलकर पढ़ते जाएँ।
हर मुश्किल में हँसी-खुशी की
राह सुझाएँ झटपट-झटपट,
ला दो ऐसी एक किताब
पढ़कर भूलें सारी खटपट।