भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पाब्लो नेरुदा / पंकज सुबीर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

करीने से जमाते हैं
अपने बालों को
हमेशा लगाते हैं
डिओडरेण्ट
तीखी सुगंध वाला,
ब्रांडेड कपड़े पहनते हैं
और जूते भी
अढ़ाई सौ रुपये वाला पैन
लगाते हैं जेब में,
जब भी मिलते हैं
किसी से
तो एक बात ज़रूर पूछते हैं
आपने पाब्लो नेरुदा को पढ़ा?