भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पाल पोस बेटी करी सयानी / बुन्देली

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

पाल पोस बेटी करी सयानी
हो गई आज पराई मोरे लाल।
बाबुल कहे बेटी हँस घर जाओ।
माता कहें जल्दी बुलाओ मोरे लाल। पाल...
ससुर जानियो बाबुल की नाईं
सासो खों जानो माता मोरे लाल। पाल...
जेठ जानियों बीरन बड़े से
जेठानी खों जानो भाभी मोरे लाल। पाल...
देवर को जानियो हल्के से बीरन।
देवरानी से करियो दुलार मोरे लाल। पाल...
छोटी ननद खों जानों छोटी बहिना
प्यार से रहियो ससुराल मोरे लाल। पाल...