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पाळी / रामस्वरूप किसान
Kavita Kosh से
ऐवड़ रा पाळी,
म्हनैं थारौ साथी बणाले
कुदरत सूं
मेळ खांवतै जीवन री
पांती देदे,
उछरती भेड़ां रै
गुबार री सौरम रौ
हिस्सौ देदे
गधै पर लदी
लोटड़ी रो संगीत
थूं ऐकलो ई सुणतौ आयौ है
अरै रोही री पून भखणियां !
थनै कित्तौ मजौ आंवतौ हुसी
जद थूं लाठी रै एक ई वार सूं
बोरड़ी रौ सगळौ पालौ झाड़
भेडां नै भेळी करदै
अर, ठंडी रात में
चांदी वरणै धोरां पर
सोनै वरणी आग
म्हैं तो दूर सूं ई देखी है
ऐवड़ रा पाळी !
म्हनैं थारौ साथी बणाले।