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पावणैं / राजू सारसर ‘राज’
Kavita Kosh से
थूं
आज नीं तो कालै
चल्यो जावैलो
ला’रै रै’य जासी
की’अणसुण्यां, अणभण्यां
अणमिट्या, अणकथ्या
जूण रा
आंटा-टूंटा लिकोळिया
इण नैनकियै
काळखण्ड रा।
कितरा’क खिण
राखसी संजोर बुगचै में
दो दिन रा बटाउ
थानैं करणी पड़ी है त्यारी
आंवतां ई जावणैं री
म्हारै हीयै बीचै ई
मसौसीजगी मनस्यावां
थानैं स्सौ कीं सुणावण री
बतावण री, देखावण री
थूं ई चावै इण घर रै
चारूं खुणां रो,
सगळै मकानां रो
आणंद अैकठौ करणौं
पण‘बावड़ती टिकट’माथै
लिखियौड़ौ है
साव साफ बगत
जावण रो
देख’र मन नीं टिक सकै
थारै भीतर चालती
घरड़-मरड़ म्हानैं
साफ लखावै।