भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पावन मास (लघु कविता)/ चन्द्रकुंवर बर्त्वाल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पावन मास (लघु कविता)
पावन का मास लगा सावन सुखदायी
घरती ढ़कती अनन्त हरियाली छाई
धूमी धनधोर गगन में काली बदरी
प्रिय ने बन निठुर सखी सुध-बुध बिसराई
( कविता से )