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पावस: मृत्युंजय / पयस्विनी / सुरेन्द्र झा ‘सुमन’
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(बलिदानी चरित्र)
छल वसु - संपत्ति जते संचित
धरती माता केँ कय अर्पित
नहि राखल किछुओ सलिल शेष
घन निर्मल अम्बर मात्र केश।
बलिदानी दानी दिव्य जलद
गलि स्वयं लोकहित सिद्ध बलद
जनि’ रक्त-सिक्त सुजला सुफला
श्यामल धरणी जननी सबला।
कयलनि जगतक उत्ताप नाश
नित तन अर्पण करइत सहास
सहि सहज चण्ड आतप प्रहार
जगकेँ देलनि छायोपहार।।
तपनक कठोर कत दमन सहल
पवनक झकोर कत जोर बहल
कत उषम उमस, कत पवन दमस
सहि सहि जगकेँ कय सकय सरस।।
जगकेँ सजीव कय, जीवन दय
आनक हित निज तन मन वलि कय
बलिदानी पावस मृत्युंजय
मरि कय पाओल अमृतक परिचय।।