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पावस आते ही बूंदों ने / राजकुमारी रश्मि
Kavita Kosh से
पावस आते ही बूंदों ने
फिर पायल छनकाई,
मत पूंछो फिर इस मौसम ने
क्या -क्या की चतुराई.
(१)
दादुर, मोर, पपीहा सब ने
अनुपम चाँद गढ़े,
चातक, शुक, मैना सबने ही
मीठे गीत पढ़े.
काली कोयल की कुहकन से,
महक उठी अमराई.
(२)
कजरारे बादल समूह में
भू पर उतर गये,
पूरी बसुधा के आँचल में
मोती बिखर गये.
मुरझाई नदियाँ उठ बैठी,
लेकर फिर अँगड़ाई.
(३)
मृदु किसलय, कोमल लतिकाएँ
तृण-तृण मुदित हुए,
धरती धानी चूनर ओढे
बजा रही बिछुए.
वन उपवन सब ने मिल जुलकर
बिरदावली सुनाई.